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यह माना जाता है कि अशिष्टता सहनीयता की हद से बढ़ चुकी है, फिर चाहे वह खेल के मैदान में हो, या हमारे घरों, समाजों में, या फिर हमारे काम की जगहों में। यही नहीं, लोगों को एहसास हो रहा है कि अशिष्टता की भी क़ीमत होती है जो विशेष रूप से हमारे संबंधों को चुकानी पड़ती है। संवेदनाओं पर आघात पड़ता है और ग़लतफ़हमियां बढ़ती हैं। इससे हमारी सेहत को नुक्सान होता हैः स्ट्रैस, थकान, सिरदर्द, पेट की समस्या, और ग़ुस्सा। जहां तक व्यस्कों का प्रश्न है, उनकी सफलता को नुक्सान पहुंचता हैः नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है, सेवा के मापदंड में गिरावट और उत्पादकता में कमी आ सकती है। और, यह तो बस हिमशिला का सिरा मात्र है। सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण बात है कि अशिष्टता हमारे बच्चों को नुक्सान पहुंचाने लगी है। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यस्कों के बीच का अनियंत्रित निरादर, टेलिविज़न पर लगातार ज़्यादती और हिंसा की नुमाइश और सामाजिक मापदंडों में गिरावट के कारण सहज बुद्धि और नैतिक आई क्यू (यानि, किस हद तक युवावर्ग ‘‘सही’’ और ‘‘ग़लत’’ का फ़र्क समझता है) का स्तर बहुत गिर गया है।
ऐसी दुनिया में जहां शालीनता दुर्लभ है और अच्छे रोल मॉडल आसानी से नहीं मिलते, बच्चों को आदर सिखाना माता-पिता के लिए सबसे महत्वपूर्ण मगर भीषण काम बन जाता है। लेकिन कई व्यस्क, माता-पिता और शिक्षक वर्ग, इतने ज़्यादा स्ट्रैस से दबे हैं कि अपने काम और घर की ज़िम्मेदारियों को भी ठीक से नहीं निभा पा रहे हैं। बच्चों को मान-सम्मान सिखाना तो दूर की बात है।
ऐसी स्थिति में भी कुछ अच्छी ख़बर तो है... 2 से 5 वर्ष की उम्र में बच्चे अच्छी आदतें सीखने के लिए सबसे ज़्यादा ग्रहणशील होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता की अच्छी आदतें ही पर्याप्त हैं क्योंकि इस उम्र में बच्चे देख-देख कर ही सीख लेते हैं। 5 साल की उम्र के बाद, हर रोज़ मात्र 10 मिनट के लिए नम्रता और सुशील व्यवहार (यानि, खाने की मेज़ लगाना, अपने खिलौने सहेज कर रखना) के महत्व पर केंद्रित बातचीत और नम्र होने के तरीक़े दिखाना बहुत फ़र्क ला सकता है। बच्चों को सामाजिक व्यवहार के नियमों के बारे में सिखाने का अर्थ है उन्हें वे सामाजिक हुनर सिखाना जो जीवन भर उनके काम आएंगे। याद रहे, अच्छी आदतों का मतलब कौन-सा कांटा कब इस्तेमाल करना ही नहीं है; इनका मतलब है मान-सम्मान और ज़िम्मेदारी सिखाना।
माता-पिता और शिक्षक वर्ग को 3 से 12 उम्र के बच्चों को आदत, मान-सम्मान, पहली धारणाएं और आत्मविश्वास पर आधारित सामाजिक बुनियाद बनाने के लिए टूलकिट प्रस्तुत करने में Manners Matter INDIA को बेहद ख़ुशी हो रही है।
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